Thursday, February 28, 2013

समय और बदलाव

माँ बनाती थी रोटी 
पहली गाय की 
आखरी कुत्ते की 
एक बामणी दादी की 
एक मेहतरानी बाई की |
.........

हरसुबह
सांड  जाता 
दरवाज़े पर,
गुड की डली के लिए |
कबूतर का चुग्गा 
कीड़ीयों का आटा
ग्यारस,अमाव,
पूनम का सीधा 
डाकौत का तेल,
काली कुतिया के ब्याने पर
तेल गुड का हलवा
सब कुछ निकल आता था
उस घर से
जिस में विलासिता के नाम पर
एक टेबल पंखा था |
आज सामान से भरे घर से
कुछ भी नहीं निकलता
सिवाय कर्कश आवाजों  के ................................

(copied)

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