Thursday, February 28, 2013

90 का दूरदर्शन और हम

90 का दूरदर्शन और हम -
1.सन्डे को सुबह-2 नहा-धो कर टीवी के सामने बैठ जाना 
2."रंगोली" में शुरू में पुराने फिर नए गानों का इंतज़ार करना 
3."जंगल-बुक" देखने के लिए जिन दोस्तों के पास टीवी नहीं था उनका घर पर आना 
4."चंद्रकांता" की कास्टिंग से ले कर अंत तक देखना 
5.हर बार सस्पेंस बना कर छोड़ना चंद्रकांता में और हमारा अगले हफ्ते तक सोचना 
6.शनिवार और रविवार की शाम को फिल्मों का इंतजार करना 
7.किसी नेता के मरने पर कोई सीरियल ना आए तो उस नेता को और गालियाँ देना 
8.सचिन के आउट होते ही टीवी बंद कर के खुद बैट-बॉल ले कर खेलने निकल जाना 
9."मूक-बधिर" समाचार में टीवी एंकर के इशारों की नक़ल करना 
10.कभी हवा से ऐन्टेना घूम जाये तो छत पर जा कर ठीक करना :)
(copied)

समय और बदलाव

माँ बनाती थी रोटी 
पहली गाय की 
आखरी कुत्ते की 
एक बामणी दादी की 
एक मेहतरानी बाई की |
.........

हरसुबह
सांड  जाता 
दरवाज़े पर,
गुड की डली के लिए |
कबूतर का चुग्गा 
कीड़ीयों का आटा
ग्यारस,अमाव,
पूनम का सीधा 
डाकौत का तेल,
काली कुतिया के ब्याने पर
तेल गुड का हलवा
सब कुछ निकल आता था
उस घर से
जिस में विलासिता के नाम पर
एक टेबल पंखा था |
आज सामान से भरे घर से
कुछ भी नहीं निकलता
सिवाय कर्कश आवाजों  के ................................

(copied)

Friday, February 22, 2013

Bomb Blasts in India- my first reaction

क्या लिखूं ?
किस पर लिखूं ?
कैसे अपनी सवेदनाएं लिखूं?
चीखते लोगो पर लिखूं?
या बिखरी लाशों पर लिखूं?
दरिंदो की हैवानियत पर लिखूं?
या प्रशासन की नाकामी पर लिखूं?
मुआवजे में दिए कागजों के टुकडो पर लिखूं?
या बिलखती माँ के आंसुओ पर लिखूं?
कैसे अपनी वेदनाएं लिखूं..........-..???
(copied)