Friday, December 5, 2014

Selective संवेदनशीलता !

पिछले कुछ दिनों में कई घटना क्रम हुए जिन्होंने खबरें बनायीं , फेसबुक स्टेटस में जगह पायी और एक नया आक्रोश पनपाने की कोशिश की ! एक ऑस्ट्रेलियाई  खिलाड़ी की मैदान पर दुखद मृत्यु हुई, CRPF के जवान शहीद हुए और रोहतक में एक कथित छेड़छाड़ का मामला सामने आया। उस दिन मैदान पर घटी उस दुर्घटना ने एक प्रतिभाशाली खिलाडी की जान ले ली, फेसबुक ,ट्विटर पर  श्र्द्धांजलि देने वालों की बाढ़ सी आ गयी ! फिलिप एक  प्रतिभाशाली खिलाडी थे और वह इस सम्मान के अधिकारी थे । इसी आप धापी के बीच CRPF के जवान नक्सली हमले में शहीद हुए ,कुछ और जवान आतंकी हमलों में कश्मीर में शहीद हुए । 

न कोई स्टेटस आये न, कोई शोक सभा हुई ,न  इंडिया गेट पर मोमबत्ती छाप देश भक्ति वाले लोगों का ताँता लगा । क्यों? ऑस्ट्रेलिया में हुई मौत मौत है , भारत में गयी जान की कीमत कुछ नहीं? इंटरनेशनल मौत पर शोक प्रकट ज्यादा कूल होता  है , देसी नहीं ? अमेरिका में एक तूफ़ान में कुछ छत उड़ जाती हैं तो बड़ा मातम मनता  है ,विशाखापट्टनम हुदहुद में मरे लोगों के प्रति कुछ नहीं ? और फिर यही जनता देश ,समाज , महिला शसक्तीकरण, और फ्रीडम की बात करती है। महिलाओं को सुरक्षा दो ,वुमन एम्पावरमेंट करो , अरे पीर थोड़ी उतरेंगे आसमान से ये सब करने । हमें ही करना होगा मिल के । या  जिन्होंने जान दी ताकि हम सब मिल कर यह सब कर पाये या कम से कम बौद्धिक जुगाली कर पाएं फेसबुक,ट्विटर पर, कम से कम उनकी इज्जत तो बनती है।  

शोक है , माहौल गमनीन है परन्तु उन आसपास के सभी गावों में जहां से ये शहीद ताल्लुक रखते थे । झुंझुनू जिले में लगभग सभी प्रतिष्ठान बंद रहे जब शहीद का शव आया , आस पास के 100 से भी ज्यादा गाँवों के गामीण अंतिम यात्रा में शामिल हुए क्योंकि वहाँ संवेदनशीलता जिन्दा है । परन्तु एक और भारत है जहा संवेदनशीलता subjected to market risk है । किसी ने वीडियो शेयर कर दिया , लॉजिकल इंडियन ने कुछ ऐसा इमोशनल बता दिया ,महिला शशक्तिकरण पर हल्का सा कुछ बोल दिया तो सबके इमोशन्स बाहर आ जाते हैं ! रोहतक में एक मार पीट की घटना हुई । मीडिया ने लड़को की पिटाई करने वाली को झाँसी की रानी की संज्ञा भी दे दी। फसबुकिया भावनाएं भी चरम पर थी । Kuddos ,रोहतक Breaveheart आदि आदि से बिना कुछ सोचे समझे महिला शसक्तीकरण पर ज्ञान बटने लगा ।

आज हरियाणा सरकार ने पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच के आदेश दिए क्युकी घटना विरोधाभास है । मीडिया ने हवा बनायीं और  देश की पढ़ी लिखी जनता बह गयी । बस इतनी ही व्यवहारिक समझ है। CRPF के जवानो की शहादत पर किसी ने माहौल नहीं बनाया तो कोई नहीं जगा। निर्भया काण्ड पर घणी मोमबत्तियां जली ,उसके बाद आजतक किसी ने मुद्दत भी नहीं की कि भैया एक दो मोमबत्तियां उन 1000 +लड़कियों के लिए भी जलाई जाए जिनके साथ निर्भया सामान घिनौना कृत्य हुआ है दिल्ली में । क्यों, जब तक कोई इस "यो यो जनरेशन" को कोई बताएगा नहीं ,चमकाएगा नहीं तब तक रेप  को रेप नहीं माना जायेगा? दिल्ली चुनाव में बड़े पोलिटिकल पंडित सामने आये , कुछ दिन और रुक जाईये , दिल्ली में चुनाव नजदीक हैं , फिर मीडिया माहौल बनाएगा और फिर जनता बह जानी है। पर कितना भी माहौल बने दिल्ली में , बाड़मेर में मतदान प्रतिशत दिल्ली से ज्यादा ही रहेगा जहा जनता 50 डिग्री तापमान में वोट डालने गयी थी ,क्युकी जनता वह सच में संवेदनशील है ,selective नहीं । 

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